3 best Real life love stories in hindi

 क्या आप internet पे रियल लव स्टोरी सर्च कर रहे है तो आप सही जगह आये है क्युकी यहाँ आपको 3 best real love stories हिंदी में मिलेगा जो आपको बहोत ही पसंद आने वाली है।

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1.लैला मजनू की प्रेम कहानी - real love story

यह कहानी उस समय की है जब प्यार मोहब्बत को गुनाह माना जाता था, अरब पति शाह आमारी के बेटे कैश जिसे आगे जाकर मजनू कहाँ गया बचपन में ही ज्योतिषों ने भविष्यवाणी की थी की कैश दीवाना होकर दर दर भटकता फिरेगा।

ज्योतिषों की भविष्यवाणी को झुटलाने के लिए शाह आमारी ने खूब मन्नते की, की उनका बेटा इस प्रेम रोग से दूर रहे लेकिन कुदरत को यह मंजूर नही था। दमिश्क के मदरसे में जब उसने नाज्द के शाह की बेटी लैला को देखा तो पहली नजर में ही कैश उसका आशिक हो गया।

मौलवी जी ने कैश को बहोत समझया की वो लैला को भूल जाए और अपना पूरा ध्यान पढाई पे केन्द्रित करे लेकिन दिवानो को ऐसी बाते समझ कहाँ आती है, कैश के प्रेम का असर लैला पे भी हुआ और दोनों प्यार की गहराई में डूबते चले गए।

यह सब देखते हुए लैला को घर में कैद कर दिया गया और कैश लैला से न मिल पाने के कारण पागलो की तरह दर दर भटकने लगा उसकी ये पागलो जैसी दीवानगी देखकर लोगो ने उसका नाम मजनू रख दिया।

इसके बाद लैला की शादी किसी बख्त नाम के व्यक्ति से करा दी गयी लेकिन लैला ने बख्त से बता दिया की ओ मजनू से प्रेम करती है और मजनू के आलावा उसे और कोई नही छू सकता फिर बख्त ने लैला से तलाख ले लिया।

लैला मजनू को ढूढती है और ढूढते-ढूढते जंगलो में जा पहोचती है वहाँ उसको मजनू मिल जाता है दोनों एक दुसरे को देख कर गले लग जाते है तभी लैला की माँ आ जाती है और उन दोनों को अलग कर लैला को घर ले जाती है।

इस गम में लैला की म्रत्यु हो जाती है और यह खबर सुनते ही मजनू ने भी अपना दम तोड़ दिया और दोनों को एक ही जगह दफनाया गया, हर साल 15 जून को लैला मजनू की माजर पर दो दिन का मेला लगता है।

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जिसमे बड़ी संख्या में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के विवाहित और अविवाहित प्रेमी जोड़े आते है और अपने प्रेम को सफल बनाने की कामना करते है।

समय की गति ने लैला मजनू की कब्र को नष्ट कर दिया है लेकिन लैला मजनू का प्रेम आज भी जिन्दा है और जब तक ये दुनिया है तब तक जिन्दा रहेगा।

2.स्टीवर्ट और क्रिसी की रियल लव स्टोरी

यह love story ब्रिटिश के स्टीवर्ट और क्रिसी की है।

स्टीवर्ट मॉल में शोपिंग करने जाता है और उसे वहाँ एक लड़की दिखाई देती है जिसका नाम क्रिसी होता है स्टीवर्ट को पहली नजर में ही क्रिस से प्यार हो जाता है और स्टीवर्ट क्रिस से बात करने जाता है दोनों एक दुसरे से बात करते है और दोनों में दोस्ती हो जाती है।

दोनों की दोस्ती प्यार में तब्दील होने में 3 महीने लग जाते है 3 महीने बाद वो दोनों एक अच्छे gf, bf बन जाते है 6 महीने बाद वो दोनों एक साथ कही जा रहे होते है तभी उनका एक्सीडेंट हो जाता है।

उस एक्सीडेंट में क्रिस को कुछ नही होता है लेकिन स्टीवर्ट बेहोश हो जाता है फिर क्रिस उसे हॉस्पिटल ले जाती है और उसके घर वालो को ए बात बताती है, जब उसके घर वाले हॉस्पिटल पहोचते है तो उन्हें पता चलता है की स्टीवर्ट कोमा में चला गया है।

ये बात सुनकर स्टीवर्ट के माता पिता और उसकी गर्लफ्रेंड बहोत दुखी होते है उन्हें कुछ समझ नहीं आता है वो डॉक्टर से पूछते है स्टीवर्ट कब तक होश में आ जायेगा।

डॉक्टर उन्हें जवाब देता है की,"कुछ कहा नही जा सकता होश कभी भी आ सकता है और शायद कभी नही" ये सुनकर क्रिस रोने लगती है।

10 दिन बाद स्टीवर्ट को होश आता है परन्तु वो सबको पहचानने से इंकार कर देता है उसके घर वाले उसे उसका बर्थ सर्टिफिकेट दिखा के उसको याद दिलाते है की वो उनका बेटा है और वो इनके माँ बाप लेकिन स्टीवर्ट फिर भी नहीं याद आता है।

फिर क्रिस को बुलाया जाता है स्टीवर्ट क्रिस को देख के बोलता है मै तुम्हे सही से पहचान नहीं पा रहा हु लेकिन मै तुमसे प्यार करता हु इतना मुझे पता है।

हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करने के बाद क्रिस, स्टीवर्ट और उनके परिवार के साथ रहने लगी। स्टीवर्ट को पूरी तरह से सही होने में 4 साल लग गए और उसके सही होते ही 2013 में दोनों ने शादी कर ली अब ये दोनों अपना जीवन खुसी से बिता है रहे है।

स्टीवर्ट और क्रिसी की रियल love story

इन दोनों की कहानी किसी फ़िल्मी कहानी सी लगती है लेकिन हर कपल को यह कहानी प्यार पे यकीन दिलाती है की सच्चे प्यार का नाता चेहरे और किसी तरह की पहचान से नही दिल से होती है और true love सिर्फ फिल्मो में नहीं हकीकत में भी होता है।

जोर्ज और डोरोथी का रियल लव स्टोरी

यह कहानी इंग्लैंड के रहने वाले जोर्ज और डोरोथी का है जिन्होंने अपने जीवन में 68 साल एक दुसरे के साथ बिताये थे इनकी प्यार की कहानी अदभुत है जो आपको बहोत पसंद आएगी तो चलिए कहानी को शुरू करते है।

डोरोथी के पहले पति का देहांत दुसरे विश्व युद्ध में हो गया था तो जोर्ज ने डोरोथी को एक पत्र में अपनी सांत्वना लिखी और भेज दिया फिर कुछ महीनो बाद जोर्ज और डोरोथी मिलते है।

उन दोनों में कुछ बाते होती है और फिर दोनों एक दुसरे के दोस्त बन जाते है। यही से उन दोनों की love story शुरू हो जाती है फिर वो दोनों रोज मिलते है, जोर्ज डोरोथी का बहोत ख्याल रखता है जिसकी वजह से डोरोथी को जोर्ज से प्यार हो जाता है।

और धीरे-धीरे जोर्ज को भी डोरोथी के प्रति फीलिंग चेंज होने लगती है और उन दोनों को प्यार हो जाता है प्यार होने के बाद जोर्ज डोरोथी को डेटिंग पे ले जाता है और दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़ कर प्यार भरी बाते करते है।

कुछ दिन डेटिंग करने के बाद दोनों विवाह करने का निर्णय लेते है और दोनों शादी कर लेते है फिर 1997 में ये दोनों अपनी शादी की पचासवी सालगिरह एक बड़ी सी गार्डन में मानते है।

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अब इस समय इन दोनों के दो बेटे है और इनके भी 5 बच्चे हो गए है।

जोर्ज की उम्र 92 है और डोरोथी की उम्र 91 इस उम्र में जोर्ज को चेस्ट इन्फेक्शन हो जाता है जिसके वजह से जोर्ज ICU में भर्ती हो जाते है और इसके कुछ ही दिन बाद डोरोथी भी बीमार हो जाती है और दोनों की एक साथ एक ही दिन मृत्यु हो जाती है।

ये दोनों जब तक जिन्दा थे एक दुसरे का साथ निभाया और मरने के बाद भी एक दुसरे से अलग नही हुए दोनों एक ही दिन मर गए और अभी भी दोनों एक दुसरे के साथ है कहते है ना सच्चा प्यार करने वाले को कोई कभी अलग नही कर सकता यह बात सत्य है।

इन दोनों की कहानी जो भी सुनता है उसकी आँख से आसू आ जाते है आपको इन तिन कहानी में से सबसे ज्यादा अच्छी कौन सी लगी कमेंट करके जरुर बताये।

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Sassi Punnu real love story in hindi

हीर रांझा, सोहनी महिवाल के जैसी ही दुखद प्रेम कहानी सस्सी पुन्नू की भी है जिसे पढ़कर आपके आखो में आंसू और ऐसे प्रेमियों के लिए दिल में इज़्ज़त जरूर आ जाएगी।

भम्भोर राज्य के राजा के पास सब कुछ था धन, दौलत, इज़्ज़त, शौहरत कमी थी तो बस एक औलाद की, क्या-क्या नहीं किया राजा और उनके परिवार ने मंदिर, मस्जिद, दरगाह, मजार फिर आख़िरकार सालो बाद ऊपर वाले ने उनकी सुन ली और महल में गूंज उठी एक नन्ही सी जान किलकारियां नन्ही पारी दिखने में बेहद खूबसूरत राजा रानी के आँखों की तारा थी।

Sassi Punnu real love story in hindi

सालो बाद ये मानत जो पूरी हुई थी पर शायद इसे किसी की नजर लग गयी ज्योतिषियों अचनाक से भविष्यवाणी की की राजकुमारी तो अनोखा इश्क़ करेंगी आपके मर्जी के बैगर यह सुनकर राजा और पुरे परिवार के खिले हुए चेहरे पर ख़ुशी उड़ गयी।


अभी तो वह ठीक से खुशिया भी नहीं मना पाए थे की अचानक ये समाचार राजा को सब बर्दाश्त था लेकिन अपनी इज़्ज़त से खिलवाड़ बिलकुल भी नहीं गुस्से में राजा मंत्रियो को हुक्म दिया राजकुमारी  मरवा दिया जाय पर फूलो सी नाजुक परियो सी सूरत राजकुमारी को मारने की ताकत मंत्रियो में नहीं थी।

बच्ची को संदूक में डाल नदी में बहा देने का फैसला किया गया उस दिन नदी के किनारे एक धोबी अपने दिन का काम ख़त्म ही कर ही चूका था, घर जाने को था की अचानक उसने नदी में एक संदूक देखा।


लालच में आकर वो नदी में कूद पड़ा और संदूक बहार निकलकर जब खोला तब उसे एक प्यारी सी बच्ची और इतना सारा सोना पाकर उसे अपने किस्मत पर यकीं ही नहीं हो रहा था।


इतना सलोना चाँद सा मुखड़ा देख उसने वही उसका नाम सस्सी रख दिया और जैसे-जैसे सस्सी बड़ी होती गयी उसके खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर तक होने लगे किसी ने जाके भम्भोर के राजा को बताया की धोबी के गर में एक लड़की जो की बहोत ही खूबसूरत है।


Sassi Punnu real love story in hindi


राजा को लगा की ऐसी खूबसूरती को तो सिर्फ महलो में स्थान है तो बस शादी का निमत्रण लेकर वह पहोच गया उस धोबी के घर पर अपनी सस्सी का तावीज जब उस राजा को दिखाया उसे देख राजा को याद आया की उसने तो वो तावीज अपने पुत्री के गले में बंधा था।


अपनी बदनीयती पर राजा ने पश्चाताप जताया और बेटी को साथ चलने को कहा पर सस्सी ने साफ़-साफ़ इंकार कर दिया।


अपने पापो का प्राश्चित करने के लिए उस राजा ने धोबी के झोपड़े को राजमहल में तब्दील कर दिया और सस्सी अपने धोबी पिता के साथ वह खुसी खुसी रहने लगी चुकी धोबी का घर नदी के किनारे था वह सौदागरों का आना जाना लगा रहता था।


एक दिन सस्सी ने उन सौदागरों के हाथ में एक तस्वीर देखी  उसे देखते ही सस्सी उस तस्वीर पर मोहित हो गयी पूछने पर पता चला की वो तो पुन्नू की तस्वीर है वह पुन्नू को देखते ही उससे मिलने के लिए तड़पने लगी


और वो सौदागरों से बोलने लगी "सुनिए मुझे इनसे मिलना है आप कुछ भी करके मुझे इनसे मिलवा दीजिये न मै वादा करती हु की मै आपको ढेर सारा इनाम दूंगी"


इनाम का लालच और राजा की बेटी को मना कर देना का खौप उन्हें ले आया पुन्नू के घर के दरवाजे के पास लेकिन पुन्नू की माँ बोलती है "नहीं हम नहीं बेझते आपने बेटे को कही" पुन्नू की माँ ने साफ़ इंकार कर दिया लेकिन सौदागरों ने सस्सी की खूबसूरती के ऐसे गीत गाये की पुन्नू अब खुद जाने के लिए तैयार हो गया था।


पुन्नू को लेकर सौदागरों ने भम्भोर लौटा, कहते है पुन्नू और सस्सी ने जब एक दूसरे को पहली बार देखा की दोनों एक दूसरे में इस कदर खो गए की दस दिन निकल गए पता ही नहीं चला इधर अपने बेटे पुन्नू को ना पाकर उसकी माँ तड़प रही रही थी।


पुन्नू की माँ ने अपने बाकी बेटो से कहा "जल्दी जाओ और पुन्नू को वापिस लेकर आओ उसके बिना जी नहीं लगता मेरा"


भम्भोर पहुचकर जब उसके भाइयो ने उसे साथ चलने को कहा तो पुन्नू ने साफ़ इंकार कर दिया लेकिन सस्सी ने उनके भाइयो का स्वागत किया और उनके भाइयो की आने की खुसी में एक दावत भी रखा और रात भर दावत चली खाने पिने में कोई कमी नहीं थी।


रात भर के जश्न के बाद सस्सी थक कर सोने चली गयी और उधर पुन्नू को नसे की हालत में जबरदस्ती उठाकर उसके भाई अपने घर के लिए रवाना हो गए और जब सुबह सस्सी की नींद खुली पर भयानक सपना तो अब सुरु ही होने वाला था की जब उसके भाइयो का साजिस का पता चला तो वो फुट-फुट कर रोने लगी।


उसके आस पास के लोग उसे ताने मारने लगे "अरे तू बेवकूफ निकली तेरे बारे में जरा ना सोचा निकल लिया अपने भाइयो के साथ"


सस्सी की माँ ने भी पुन्नू के धोकेबाज़ होने की दलील देती रही लेकिन सस्सी का दिल ये सब मानने से इंकार कर रहा था और बस सस्सी निकल पड़ी अपंने पुन्नू की तलाश में रेगिस्तान उसे आता देख देखता ही रह गया तपती धुप जलती रेत, सस्सी को इन सबकी बिलकुल भी परवाह नहीं थी 


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वो नंगे पाँव हर जगह पुन्नू को ढूंढ़ती जा रही थी उसके पाँव में छाले पद गए थे प्यास की वजह से आखो से दिखना काम हो गया था पर उसे इस बात का होश न था वो तो अपने पुन्नू के लिए चली जा रही थी और जाते-जाते वो प्यास की वजह से गिर गयी।


जब पुन्नू को होश आया उसे अपने भाइयो के शाजिश के बारे में पता चला तो नंगे पाँव दौड़ते-दौड़ते सस्सी से मिलने के लिए आने लगा और रास्ते में एक भेड़ बकरी चराने वाले ने सस्सी के बारे में बताया।


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कहते है पुन्नू ने जैसे ही सस्सी को देखा उसने भी वही उसी वक्त सस्सी के पास अपने प्राण त्याग दिए तो ऐसी थी सस्सी पुन्नू की मोह्हबत जरूर लेकिन पूरी नहीं हो पायी।

हीर राँझा की सच्ची प्रेम कहाँनी | heer ranjha love story in hindi

 दो शब्दों को प्यार में बया नहीं किया जा सकता और न ही इसकी कोई परिभाषा है, इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है, प्यार एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जो दो लोगो को बहुत गहराई से आपस में जोड़ता है।

यह एक ऐसा बंधन है जो दो लोगो के रूह को आपस में बाँध देता है, प्यार आसानी से किसी से तो हो सकता है पर आसानी से ख़त्म नहीं होता, प्यार को सिर्फ वही महसूस कर सकता है जो सच में किसी से सच्चा प्यार करता है।

ऐसी दुनिया में कई प्यार के किस्से और कहानी जो हमें प्रमाणित करते है की सच्चा प्यार न किसी से हारता है ना कभी झुकता है वो हमेशा अमर रहता है चाहे दुनिया कितनी भी ज़ालिम हो जाये आखिर में जीत प्यार की ही होती है।

इन्ही कहानियों में से एक कहानी हीर राँझा की है जिन्होंने अपने प्यार की एक अमीठ छाप छोड़ी जिसे दुनिया आज भी याद करता है और उनका प्यार आज भी अमर माना जाता है।

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पाकिस्तान की चेन्नाव नदी के किनारे पर तख्तहजारा नामक गांव था, मौजूद चौधरी गांव का मुख्य जमींदार था, मौजूद चौधरी के चार पुत्र थे जिसमे से सबसे छोटा पुत्र का नाम रांझा था।

रांझा का असली नाम ढिडो था और उसका उपनाम रांझा था इसलिए उसे लोग रांझा के नाम से पुकारते थे, रांझा सब भाइयो में सबसे छोटा होने कारण अपने पिता का लाडला था।

रांझा के बड़े भाई खेतो में कड़ी मेहनत करते थे और रांझा पूरा दिन कभी इस भाग में उस बाग़ में दिन घूमता और बासुरी लेकर बजाता रहता था, जिस कारन उसके बड़े भाई उससे नफरत करते थे।

राँझा को बचपन में ही खूबसूरती से इश्क था उसने अपने लिए सपनो में ही एक हसीना की तस्वीर बना ली थी, राँझा बड़ा ही आशिक मिजाज का था।

जब राँझा 12 वर्ष का हुआ तो उसके पिता की मृत्यु हो गयी और धीरे-धीरे भाइयो से भी विवाद होने लगा एक दी राँझा और उसके भाई उससे अलग हो गए, अपने भाइयो से अलग होकर राँझा पुरे दिन पेड़ो के निचे बैठा करता और अपने मन गढन सहजादी के बारे में सोचा करता था।

एक दिन उसे एक पीर बाबा मिले और उससे पूछे की तुम इतने दुखी क्यों हो फिर राँझा ने अपने द्वारा रचित प्रेम गीत सुनाये जिसने उसे अपने मन गढन शहजादी का उल्लेख किया था।

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रांझा के गीत सुनकर पीर बाबा ने रांझा से कहा तुम्हारी सपनो की शहजादी हीर के अलावा और कोई नहीं हो सकती यह सुन रांझा अपनी हीर की तलाश में वहाँ से निकल पड़ा, चलते-चलते रात हो गयी फिर राँझा ने एक मस्जिद में आश्रय लिया और अगली सुबह वह मस्जिद से रवाना हो गया।

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अपनी हीर को ढूंढते -ढूंढ़ते वह एक गांव में पंहुचा जहा उसे हीर मिली जो एक सियाल जनजाति के सम्पन जाट परिवार से सम्बन्ध रखती थी।

यह जगह अभी पंजाब पाकिस्तान में है, पहली बार हीर को देखते ही रांझा समझ गया की यही मेरी सपनो की शहजादी है।

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हीर बहोत ही शख्त दिमाग वाली और खूबसूरत लड़की थी, एक रात चुपके से राँझा हीर के नाव में सो जाता है यह देखकर हीर आग बबूला हो गयी लेकिन जैसे ही उसने रांझे को सामने से देखा तो वह अपना गुस्सा भूल गई और रांझे को देखते रह गयी

तब राँझा ने हीर से अपने सपनो की बात कही, रांझे पे फ़िदा हीर उसे अपने घर ले गई और अपने यहाँ नौकरी पर रखवा दिया।

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हीर के पिता ने राँझा को मवेशी चराने का काम सौप दिया, हीर राँझा की बासुरी की आवाज में मंत्र मुग्ध हो जाती थी और धीरे-धीरे हीर को रांझा से गहरा प्यार हो गया वो दोनों कई सालो तक गुप्त जगहों पे मिलते रहे लेकिन हीर के चाचा को इस बात की भनक लग गयी और सारी बात हीर के पिता चूचक और माँ मालकी को बता दी अब हीर के घरवालों ने रांझा को नौकरी से निकाल दिया और दोनों को मिलने से मना कर दिया।

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कुछ दिनों बाद हीर के पिता ने हीर को सैदा खेरा नाम के व्यक्ति से विवाह करने के लिए मजबूर किया, मौलवियों और अपने परिवार के दवाब में आकर उसने सैदा खेरा नामक व्यक्ति से विवाह कर लिया।

जब इस बात की खबर रांझा को पता चली तो उसका दिल टूट गया और वह ग्रामीण इलाको में अकेला दर बदर भटकता रहा फिर एक दिन एक जोगी गोरख नाथ मिला जोगी संप्रदाय के कानफटा समुदाय से था।

उसके सानिध्य में उसके साथ रहकर रांझा भी जोगी बन गया रब का नाम लेता हुआ वो पुरे पंजाब में भटकता रहा और अंत में उसको उसके हीर का गांव मिल गया जहा वह रहती थी।

रांझा हीर के पति सैदा के घर गया और उसका दरवाजा खटखटाया उसकी आवाज सुनकर हीर बाहर आई और रांझा को भिक्षा देने लगी।

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दोनो एक दूसरे को देखते रह गए, रांझा रोजाना फकीर बनकर आता और हीर उसे भिक्षा देती, दोनो रोजाना ऐसे मिलने लगे लेकिन ये सिलसिला ज्यादा देर तक चल नही सका और एक दिन हीर की भाभी ने यह सब देख लिया।

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उसकी भाभी ने हीर को टोका तो रांझा गांव से बाहर चला गया, हीर के गांव के सारे लोग इसे फकीर मानकर उसे पूजने लगे।

रांझा की जुदाई में हीर बीमार हो गई जब बैद्द और हकीम से हीर का इलाज नही हुआ तो उसके ससुर ने रांझे के पास जाकर उसकी मदत मांगी और रांझा हीर के घर गया फिर उसने हीर के सर पर अपना हाथ रखा और हीर की चेतना लौट आई जब लोगो को पता चला की वो फकीर रांझा है

तब गांव के लोगो ने रांझा को पीटकर गांव से बाहर कर दिया फिर राजा ने उसे चोर समझकर पकड़ लिया।

लेकिन रांझा ने जब राजा को हकीकत बताई और अपने प्यार की परीक्षा देने के लिए आग पर हाथ रख दिया तब राजा ने हीर के पिता को आदेश दिया की वो हीर की शादी रांझा से करा दे, राजा की आज्ञा की डर से हीर के पिता ने इस शादी की मंजूरी देदी

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लेकिन शादी के दिन हीर के चाचा ने हीर के खाने में जहर मिला दिया ताकि ये शादी न हो पाए ये सूचना जैसे ही रांझा को मिली वो दौड़ता हुआ हीर के पास पहुंचा लेकिन अब बहोत देर हो चुकी थी।


हीर ने वो खाना खा लिया था जिसमे जहर मिला हुआ था जिससे उसकी मौत हो गई थी, रांझा अपने प्यार के मौत के दुख को झेल नहीं पाया और उसने भी वो जहर वाला खाना खा लिया और हीर के करीब ही रांझें ने भी अपना दम तोड दिया।

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हीर और रांझा को उनके पैतृक गांव झंग में ही दफ्न किया गया जहा आज भी उन दोनो का उनके प्रेम का मजार बना हुआ है, भले ही हीर और रांझा मर गए हो लेकिन उनकी मोहब्बत आज भी लोगो के दिलो में जिंदा है।

सोहनी महिवाल की अद्भुत प्रेम कहानी हिंदी में

हीर रांझा, सस्सी पुन्नू और रोमियो जुइलिअट की तरह सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी बहोत प्रसिद्ध है।

sohani mahiwal story
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18वी शताब्दी में एक सुन्दर कन्या सोहनी का जन्म तुला नामक कुम्हार के घर हुआ जो गुजरात पंजाब में उस समय गुजरात की चुन्नव नदी बखरा और दिल्ली व्यपारी रस्ते के बिच में आते थे जहाँ मुसाफिरों का करवा रुकता था।

जैसे जैसे मिटटी के घड़े उनके पास आते थे उनपर सुन्दर-सुन्दर कलाकृतिया निकलते थे और उन्हें बेचने के लिए तैयार करते थे।

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बुखारा एक समृद्ध और आमिर व्यपारी शहजादा इज्जद बेग पंजाब आया था और गुजरात जो की वर्तमान पाकिस्तान में था वहाँ रुका था।

वहाँ पर उसने सोहनी को देखा और पूरी तरह मंत्र मुग्ध हो गया इसके बाद वह केवल सोहनी का एक झलक पाने के लिए वह सोहनी द्वारा सजाये गए मटके रोज खरीदने आया करता था।

सोहनी का दिल भी इज़्ज़त बैग पर आ गया था, अपने करवा के साथ वापस बुखारा जाने की बजाय इज़्ज़त बैग ने तुला के ही घर में नौकर बनकर काम करने की ठान ली बल्कि इज़्ज़त बैग तुला के भैसो को चराने के लिए भी जाय करता था।

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और तभी से कुछ समय बाद वहाँ महिवाल के नाम से जाना जाने लगा, सोहनी और महिवाल का प्यार कुम्हार समुदाय में खलबली का कारण बना था।

उस समय कुम्हार समाज के लोग यह नहीं चाहते थे की उनके समाज की बेटी किसी दूसरी समाज के लड़के से विवाह करे इसलिए उनके माता पिता ने तुरंत सोहनी का विवाह एक दूसरे कुम्हार के साथ तय कर दिया।

बारात के दिन जब कुम्हार घर पर आया था सोहनी पूरी तरह से अकेली पड गयी थी, और डोली में बिठाकर सोहनी को अपने पति के घर भेजा गया था।

इसके बाद इज़्ज़त बैग ने अपनी पहचान बदल ली थी और एक फ़क़ीर की तरह रहने लगा था अचानक वह सोहनी के नए घर के पास के चुंनाव नदी के पास छोटी सी झोपड़ी में रहने लगा था।

अँधेरी रात में जब सारी दुनिया सो जाती थी तब ये दोनों प्रेमी नदी के किनारे एक दूसरे से मिलने आते थे, सोहनी मिटटी के बर्तन की सहायता से तैर कर नदी के उस पार महिवाल से मिलने आया करती थी।

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महिवाल रोज़ मछलिया पकड़ता था और सोहनी को खाने के लिए बनाया करता था, एक बार ज्यादा लहरों की वजह से महिवाल मछलियों को पकड़ने में असफल रहा तब महिवाल ने अपनी जांघ से कुछ टुकड़ा काटकर उसे भुना दिया, सोहनी को इस बारे में उसे पता नहीं था।

लेकिन सोहनी ने महिवाल को बताया की आज मछली के स्वाद में फर्क लग रहा है और जब सोहनी ने अपना हाथ उसके पैर पर रखा तब सोहनी को अहसास हुआ की महिवाल ने उसके लिए अपनी जांघ पर घाव मारा है और यह बात उन दोनों के प्यार की गहराई को दर्शाती है।

इस प्रकार उनके प्रेम की कहानी के चर्चे जगह-जगह फैलते गए थे, एक दिन सोहनी के भाभी ने सोहनी का पीछा किया और उस जगह छुप गयी जहा सोहनी अपना पानी पे तैरने वाला बर्तन रखती थी।

सोहनी को ऐसा करते हुए देखते ही उसने सोहनी की सासु माँ को बता दिया और अगले ही दिन सोहनी की भाभी ने तैरने वाले बर्तन को बदलकर वहां डूबने वाला बर्तन रख दिया, उस रात जब सोहनी मीठी के बर्तन के सहारे नदी पार करने की कोशिश कर रही थी तब वह बर्तन पानी में डूबने लगा और सोहनी भी डूबने लगी, महिवाल जब नदी के उस पर सोहनी को डूबता हुआ देखा और सोहनी को बचने के लिए माहिवाल  भी पानी में कूद गया।

और इस तरह दोनों प्रेमी की मृत्यु पानी में डूबने की वजह से हो गयी 

ये कहानियाँ आपको सफल बना देंगी | Motivational story in Hindi

जब हिम्मत टूटने लगे तब हर एक इंसान को motivation की जरुरत पड़ती है इसलिए लोग उन लोगो के बारे में या उनकी जीवन की story पढ़ते है जो success हो चुके है, उनकी कहानियाँ पढ़ने से हमें अपना काम करने में बहोत ही प्रेरणा मिलती है, इसलिए आप को इस लेख में motivational story Hindi में मिलेगा जिसे पढ़ने के बाद आपको बहोत ही प्रेरणा मिलेगी।


1.डर से लड़ो - motivational story in Hindi



दो दोस्त एक छोटे से गांव में रहते थे, एक बार वो दोनो किसी काम से शहर में गए और जब उनका काम हो गया तो वो वापिस अपने गांव लौट रहे थे।


लेकिन उन्हें अपने गांव तक पहुंचने के लिए उनको एक घने जंगल से गुजरना था और जब वो उस जंगल से गुजर रहे थे तो एक दोस्त को प्यास लगी और वो पानी ढूंढने के लिए रास्ते में भटक गए।


थोड़ी ही देर बाद शाम हो गई और रात होने ही वाली थी तो उन दोनो की नजर एक गुफा पर पड़ी जोकि पेड़ो से घिरी थी चारो तरफ से तो उन्होंने सोचा की यही जगह ठीक है रात गुजारने के लिए।


फिर दोनो ने कुछ लकड़ियां इकट्ठा करी उस गुफा के अंदर गए और आग जला कर वहा बैठ गए, रात का वक्त था गुफा के अंदर आग जल रही थी बाहर बिल्कुल अंधेरा था और कुछ जानवरो की आवाजे आ रही थी।


उन दोनो दोस्तो में एक दोस्त डर रहा था क्युकी उसने भूत प्रेत की बहोत कहानियां सुनी थी की रात के समय जंगल में कुछ भयानक आत्माए घूमती है और उनको अगर भटका हुआ आदमी मिल जाए तो उसे नही छोड़ती है।


तो जब उसने ये भूत प्रेतो की बात अपने दोस्त से करी तो उसके दोस्त ने हंसते हुए पूछा की आज तक तूने कभी भूत देखा है, उसने कहा नही मैने तो नही देखा है लेकिन उसके जान पहचान के कुछ लोग है जिसने भूतो को देखा है फिर उसके दोस्त ने कहा "यार ऐसी सुनी सुनाई बातो पे विश्वास नही करते है तू सोजा मुझे भी नींद आ रही है।"


और इतना कह कर के उसका दोस्त वही पर लेट गया और थोड़ी देर में सो गया लेकिन जो दोस्त अंदर से डरा हुआ था वो तो लेट गया लेकिन उसको नींद नही आ रही थी।


उसको ऐसा लग रहा था कुछ तो है जो उसे छुप कर देख रही है, उस आग की वजह से कुछ परछाइयां बन रही थी उन पत्थरों पर, उन परछाइयो को देखकर डर रहा था।


कुछ घंटों तक ऐसे चलता रहा, कुछ देर बाद में वो थका हुआ था तो उसको नींद आ गई लेकिन नींद आने के कुछ देर बाद ही उसको एक सपना आया।


सपने में एक भयंकर डरावनी परछाई उसकी तरफ आ रही थी और जैसे जैसे वो अंदर से डरता चला जा रहा था वो परछाई और उसके पास आ रही थी।


उस परछाई में उसको एक हाथ नजर आया जिसके बड़े - बड़े नाखून थे और वो हाथ उसके तरफ बढ़ता चला गया और इसके गले तक पहुंचने वाला था की तभी एकदम से वो डर कर के उठा फिर उसने अपने दोस्त की तरफ देखा जो सो रहा था।


उसने अपने सोए हुए दोस्त को उठाया और उसने अपने सपने के बारे में बताया कि उसके साथ क्या हुआ लेकिन फिर उसका दोस्त हसने लगा और अपने डर हुए दोस्त से कहा अगर अब तुझे वो परछाई दिखने लगे तो तू वही कहना जो मै तुझे बता रहा हु फिर देखते है की वो परछाई तेरा क्या करती है।


तुझे अपने मन में ही बोलना है मै तुझसे नही डरता सामने आ इतना बोलकर वो दोनो सो गए थोड़ी देर बाद सपने में उसको वही परछाई दुबारा नजर आई और धीरे - धीरे वो परछाई उसके तरफ बढ़ने लगी लेकिन इस बार वो उस परछाई से डरा नही बल्कि अपनी पूरी हिम्मत जुटा कर के उसने वही कहा "मैं तूझसे नही डरता सामने आ"


जैसे जैसे वो ये बोलने लगा वो परछाई उससे दूर जाने लगी वो बोलता रहा और वो परछाई धीरे धीरे पीछे जाने लगी और कुछ समय बाद वो परछाई दिखानी बंद हो गई।


बिल्कुल ऐसा ही हमारे जिंदगी में भी होता है, हमारे अंदर जितने भी डर है उससे हम जितना ही डरते है वो डर और बड़ा होता चला जाता है इसलिए हमे चाहे जितना भी डर लगे उस डर से सामना करना चाहिए तभी वो डर खत्म हो पाएगा।


2.लक्ष्य के समीप - Short motivational story in Hindi

motivational story in Hindi


एक गांव में रामु नाम का आदमी रहता था जो बहुत गरीब था, बहोत ही मुश्किल से वो एक वक्त की रोटी जुटा पाता था। एक दिन उसकी माँ बहोत बीमार हो गयी और उनके इलाज के लिए पैसो की बहोत जरूरत थी लेकिन रामु के पास पैसे नहीं थे।

फिर वो सोचने लगा अब मै क्या करू तो उसे एक बात याद आती है उसके पिता ने उसे उसके गांव के पास एक बड़ी सी नदी के उस पार एक खजाने के बारे में बताया था।

लेकिन वो नदी के उस पार नहीं जा सकता था क्युकी वो नदी बहोत बड़ी और गहरी थी फिर वो एक नाव बनाने का सोचता है, 3 दिन के बाद वो एक नाव बना लेता है और नाव को नदी में उतार देता है।

वो भगवान् का नाम लेकर नाव की मदत से नदी के उस पार जाने लगता है लेकिन तभी बहोत तेज़ की बारिश और तूफान आ जाता है जिसकी वजह से उसका नाव नदी में आगे की तरफ नहीं जा पाती है लेकिन वो हार नहीं मानता और आगे बढ़ने की कोशिश करता है।

कुछ समय बाद बारिश और तूफ़ान बंद हो जाता है फिर वो अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगता है लेकिन जैसे ही नाव नदी के बिच में पहोचती है नाव में एक छोटा सा छेद हो जाता है जिसके कारण नाव में पानी जाने लगता है।

रामु डर जाता है और सोचता है की वापस लौट जाए लेकिन फिर सोचता है की नाव को डूबने में टाइम लगेगा तब तक मै पहोच जाऊंगा और वो अपनी पूरी जान लगा देता है, नाव डूबने से पहले नदी के दूसरे किनारे पहोच जाता है फिर उसके पिता के बताये हुए जगह पर जाता है और खजाना उसे मिल जाता है।

खजाना लेके वो फिर नाव को सही करता है और वापस अपने घर जाके अपनी माँ का इलाज करवाता है।
इस कहानी में जैसे रामु को हर बार मुसीबतो का सामना करना पड़ता है ठीक इसी प्रकार हमारे साथ भी होता है, हम लक्ष्य के करीब होते है किसी कारण से काम को छोड़ देते है जो हमें नहीं छोड़ना चाहिए।

3.विश्वास की ताकत - Short motivational story in Hindi for student

motivational story in Hindi


एक गांव में 12 साल का लड़का रहता था जिसका नाम रवि था। उसके पास के गांव में मेला लगा था तो रवि अपने पिता से मेले में घूमने को बोलता है और उसके पिता मेले में जाने के लिए मान जाते है।

रवि और उसके पिता मेले में खूब मौज मस्ती करते है फिर रवि अपने पिता से बोलता है "पिता जी मै सर्कस देखना चाहता हु"

रवि और उसके पिता सर्कस देखने जाते है जब रवि वहाँ पहोच जाता है तो वो देखता है एक विशाल हाथी को एक पतली सी रस्सी से बाँधा गया वो ये देख कर हैरान हो जाता है की इतने विशाल हाथी को एक पतली सी रस्सी से बांधा गया जिसे वो एक झटके में ही तोड़ सकती है।

रवि को यह देखकर उसके मन में बहोत से सवाल उठते है और वो अपने पिता से बोलता है "पिता जी इतने विशाल  हाथी को  कमजोर और पतले रस्सी से क्यों बंधा गया है अगर हाथी चाहे तो उसे एक झटके में ही तोड़ दे"

उसके पिता रवि की बात सुनकर मन ही मन सोचने लगते है की रवि की बात तो सही है इतना विशाल हाथी तो इस रस्सी को एक झटके में ही तोड़ सकता है फिर उसे इतने कमजोर रस्सी से क्यों बंधा गया है।

रवि के  रहा नहीं जाता तो वो हाथी के मालिक से पूछ लेते है की हाथी को  रस्सी से बांधकर क्या फायदा अगर हाथी चाहे तो इस रस्सी  एक झटके में ही तोड़ सकती है।

यह सुनकर हाथी का मालिक मुस्कुराता है और बोलता है "श्रीमान यह हाथी जब छोटा था तब उसे इसी रस्सी से बाँधा गया था

 और उस समय हाथी छोटा था तो उसके हजारो प्रयास करने के बाद भी वो रस्सी नहीं तोड़ पाया और उसे  विश्वास हो गया की वो अब ये रस्सी कभी नहीं तोड़ पायेगा और उसने प्रयास करना बंद कर दिया इसलिए वो इतनी कमजोर रस्सी से बंधा हुआ है और उसे तोड़ने का प्रयास नहीं कर रहा है।"

जैसे उस हाथी को लगता है की ये रस्सी नहीं तोड़ पायेगा वैसे ही हम भी जब 3 या 4 बार हार जाते है तो हमें भी यही लगता है की अब हम इस काम को नहीं कर पाएंगे और यही विश्वास के चलते हम अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाते आपको हमेशा यह विश्वास होना चाहिए की मै ये काम कर लूंगा तो आप दुनिया में कुछ भी कर लेंगे।

मूर्तिकार पिता बेटे - motivational story in Hindi

मूर्तिकार पिता बेटे - motivational story in Hindi

एक गांव में मूर्तिकार रहा करता था वह बहोत सुन्दर मुर्तिया बनाया करता था और उसे बेचकर अपना घर चलाया करता था फिर उसे एक बेटा हुआ और उस बच्चे ने बचपन से ही मुर्तिया बनानी शुरू करदी और कुछ दिन में बहोत अच्छी मुर्तिया बनाना सिख गया था।

बेटे की कामयाबी देखकर उसके पिता बहोत खुश हुआ करते थे लेकिन हर बार अपने बेटे के द्वारा बनाई  मूर्तियों में कोई ना कोई कमी निकल दिया करता था और बोलता था "बहोत अच्छा बना है लेकिन अगली बार इस कमी को दूर करने की पूरी कोशिश करना"

बेटा भी कोई शिकायत नहीं करता था वो अपने पिता के बातो पर अमल करता था और मूर्तियों को अच्छा बनाने की कोशिश करता था ऐसे लगातार मूर्तियों में सुधार की बजह से बेटे की मुर्तिया उसके पिता से भी अच्छी बनने लगी।

कुछ समय बाद ऐसा टाइम आ गया की बेटे की मूर्तियों को लोग ज्यादा पैसे देके खरीदने लगे जबकि पिता की मुर्तिया उसके पुराने कीमत पे ही बिकती रही लेकिन पिता अब भी बेटे की मूर्तियों में कमी निकाल देता था।

लेकिन बेटे को अब ये अच्छा नहीं लगता था और वो बिना मन कमियों को स्वीकार कर लेता था लेकिन फिर भी अपनी मूर्तियों में सुधार कर लेता था।

लेकिन एक समय ऐसा भी आया की बेटे के सब्र ने जवाब दे दिया और बाप जब कमिया निकल रहा था तब बेटे ने बोला आप मेरी मूर्ति में कमिया ऐसे निकलते है जैसे आप बहोत बड़े मूर्तिकार है अगर आप इतने ही बड़े मूर्तिकार होते तो आपकी मुर्तिया इतने कम कीमत में नहीं बिकती, मुझे नहीं लगता की अब मुझे आपके सलाह की जरुरत है मेरी मुर्तिया सबसे बढ़िया है।

पिता ने बेटे की बात सुनी तो उसने बेटे की मूर्तियों में कमिया निकलना बंद कर दिया, कुछ महीने तो वो लड़का खुश रहा लेकिन फिर उसने ध्यान दिया की लोग अब उसकी मूर्तियों की तारीफ नहीं किया करते और उसके मूर्तियों के दाम बढ़ना भी बंद हो गए।

शुरू  बेटे को कुछ  समझ नहीं आया लेकिन फिर वो अपने पिता के पास गया और उसे इस समस्या के बारे में बताया पिता ने बेटे की बात बहोत सुनी जैसे उसे पता था की एक दिन ऐसा भी आएगा बेटे ने भी इस बात पे ध्यान दिया और उसने पूछा "क्या आप जानते थे की ऐसा होने वाला है ?"

पिता ने जवाब दिया "हाँ, क्युकी आज से कई साल पहले मेरे साथ भी यही हुआ था।"

बेटे ने सवाल पूछा "तो आपने मुझे क्यों नहीं"

पिता ने जवाब दिया "क्युकी तुम समझना नहीं चाहते थे, मै जनता हु की मै तुम्हारे जैसा अच्छी मुर्तिया नहीं बनता और ये भी हो सकता है की मूर्तियों के बारे में मेरी सलाह गलत हो लेकिन मै जब तुम्हारी मूर्तियों में कमिया निकालता था तब तुम  बनाई गयी मूर्तियों से संतुष्ट नहीं होते थे और हमेशा अपनी मूर्तियों को बेहतर करने की कोशिश करते थे और वही बेहतर होने की कोशिश तुम्हारी कामयाबी का कारण था लेकिन जिस दिन तुम संतुष्ट हो गए और तुमने मान लिया की और इसमें कुछ बेहतर करने की गुंजाइस ही नहीं है, यही कारण है  अब  मूर्तियों की तारीफ नहीं होती और ना ही अब तुम्हे उन मूर्तियों के लिए ज्यादा पैसे मिला करते है"

बेटे ने पूछा "मुझे अब क्या करना चाहिए?"

पिता ने जवाब दिया "असंतुष्ट होना सिख जाओ मान लो की हमेशा तुम में बेहतर होने की गुंजाइस है और यही बात हमेशा तुमको एक अच्छा मूर्तिकार बनाये रखेगी।"