ये कहानियाँ आपको सफल बना देंगी | Motivational story in Hindi

जब हिम्मत टूटने लगे तब हर एक इंसान को motivation की जरुरत पड़ती है इसलिए लोग उन लोगो के बारे में या उनकी जीवन की story पढ़ते है जो success हो चुके है, उनकी कहानियाँ पढ़ने से हमें अपना काम करने में बहोत ही प्रेरणा मिलती है, इसलिए आप को इस लेख में motivational story Hindi में मिलेगा जिसे पढ़ने के बाद आपको बहोत ही प्रेरणा मिलेगी।


1.डर से लड़ो - motivational story in Hindi



दो दोस्त एक छोटे से गांव में रहते थे, एक बार वो दोनो किसी काम से शहर में गए और जब उनका काम हो गया तो वो वापिस अपने गांव लौट रहे थे।


लेकिन उन्हें अपने गांव तक पहुंचने के लिए उनको एक घने जंगल से गुजरना था और जब वो उस जंगल से गुजर रहे थे तो एक दोस्त को प्यास लगी और वो पानी ढूंढने के लिए रास्ते में भटक गए।


थोड़ी ही देर बाद शाम हो गई और रात होने ही वाली थी तो उन दोनो की नजर एक गुफा पर पड़ी जोकि पेड़ो से घिरी थी चारो तरफ से तो उन्होंने सोचा की यही जगह ठीक है रात गुजारने के लिए।


फिर दोनो ने कुछ लकड़ियां इकट्ठा करी उस गुफा के अंदर गए और आग जला कर वहा बैठ गए, रात का वक्त था गुफा के अंदर आग जल रही थी बाहर बिल्कुल अंधेरा था और कुछ जानवरो की आवाजे आ रही थी।


उन दोनो दोस्तो में एक दोस्त डर रहा था क्युकी उसने भूत प्रेत की बहोत कहानियां सुनी थी की रात के समय जंगल में कुछ भयानक आत्माए घूमती है और उनको अगर भटका हुआ आदमी मिल जाए तो उसे नही छोड़ती है।


तो जब उसने ये भूत प्रेतो की बात अपने दोस्त से करी तो उसके दोस्त ने हंसते हुए पूछा की आज तक तूने कभी भूत देखा है, उसने कहा नही मैने तो नही देखा है लेकिन उसके जान पहचान के कुछ लोग है जिसने भूतो को देखा है फिर उसके दोस्त ने कहा "यार ऐसी सुनी सुनाई बातो पे विश्वास नही करते है तू सोजा मुझे भी नींद आ रही है।"


और इतना कह कर के उसका दोस्त वही पर लेट गया और थोड़ी देर में सो गया लेकिन जो दोस्त अंदर से डरा हुआ था वो तो लेट गया लेकिन उसको नींद नही आ रही थी।


उसको ऐसा लग रहा था कुछ तो है जो उसे छुप कर देख रही है, उस आग की वजह से कुछ परछाइयां बन रही थी उन पत्थरों पर, उन परछाइयो को देखकर डर रहा था।


कुछ घंटों तक ऐसे चलता रहा, कुछ देर बाद में वो थका हुआ था तो उसको नींद आ गई लेकिन नींद आने के कुछ देर बाद ही उसको एक सपना आया।


सपने में एक भयंकर डरावनी परछाई उसकी तरफ आ रही थी और जैसे जैसे वो अंदर से डरता चला जा रहा था वो परछाई और उसके पास आ रही थी।


उस परछाई में उसको एक हाथ नजर आया जिसके बड़े - बड़े नाखून थे और वो हाथ उसके तरफ बढ़ता चला गया और इसके गले तक पहुंचने वाला था की तभी एकदम से वो डर कर के उठा फिर उसने अपने दोस्त की तरफ देखा जो सो रहा था।


उसने अपने सोए हुए दोस्त को उठाया और उसने अपने सपने के बारे में बताया कि उसके साथ क्या हुआ लेकिन फिर उसका दोस्त हसने लगा और अपने डर हुए दोस्त से कहा अगर अब तुझे वो परछाई दिखने लगे तो तू वही कहना जो मै तुझे बता रहा हु फिर देखते है की वो परछाई तेरा क्या करती है।


तुझे अपने मन में ही बोलना है मै तुझसे नही डरता सामने आ इतना बोलकर वो दोनो सो गए थोड़ी देर बाद सपने में उसको वही परछाई दुबारा नजर आई और धीरे - धीरे वो परछाई उसके तरफ बढ़ने लगी लेकिन इस बार वो उस परछाई से डरा नही बल्कि अपनी पूरी हिम्मत जुटा कर के उसने वही कहा "मैं तूझसे नही डरता सामने आ"


जैसे जैसे वो ये बोलने लगा वो परछाई उससे दूर जाने लगी वो बोलता रहा और वो परछाई धीरे धीरे पीछे जाने लगी और कुछ समय बाद वो परछाई दिखानी बंद हो गई।


बिल्कुल ऐसा ही हमारे जिंदगी में भी होता है, हमारे अंदर जितने भी डर है उससे हम जितना ही डरते है वो डर और बड़ा होता चला जाता है इसलिए हमे चाहे जितना भी डर लगे उस डर से सामना करना चाहिए तभी वो डर खत्म हो पाएगा।


2.लक्ष्य के समीप - Short motivational story in Hindi

motivational story in Hindi


एक गांव में रामु नाम का आदमी रहता था जो बहुत गरीब था, बहोत ही मुश्किल से वो एक वक्त की रोटी जुटा पाता था। एक दिन उसकी माँ बहोत बीमार हो गयी और उनके इलाज के लिए पैसो की बहोत जरूरत थी लेकिन रामु के पास पैसे नहीं थे।

फिर वो सोचने लगा अब मै क्या करू तो उसे एक बात याद आती है उसके पिता ने उसे उसके गांव के पास एक बड़ी सी नदी के उस पार एक खजाने के बारे में बताया था।

लेकिन वो नदी के उस पार नहीं जा सकता था क्युकी वो नदी बहोत बड़ी और गहरी थी फिर वो एक नाव बनाने का सोचता है, 3 दिन के बाद वो एक नाव बना लेता है और नाव को नदी में उतार देता है।

वो भगवान् का नाम लेकर नाव की मदत से नदी के उस पार जाने लगता है लेकिन तभी बहोत तेज़ की बारिश और तूफान आ जाता है जिसकी वजह से उसका नाव नदी में आगे की तरफ नहीं जा पाती है लेकिन वो हार नहीं मानता और आगे बढ़ने की कोशिश करता है।

कुछ समय बाद बारिश और तूफ़ान बंद हो जाता है फिर वो अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगता है लेकिन जैसे ही नाव नदी के बिच में पहोचती है नाव में एक छोटा सा छेद हो जाता है जिसके कारण नाव में पानी जाने लगता है।

रामु डर जाता है और सोचता है की वापस लौट जाए लेकिन फिर सोचता है की नाव को डूबने में टाइम लगेगा तब तक मै पहोच जाऊंगा और वो अपनी पूरी जान लगा देता है, नाव डूबने से पहले नदी के दूसरे किनारे पहोच जाता है फिर उसके पिता के बताये हुए जगह पर जाता है और खजाना उसे मिल जाता है।

खजाना लेके वो फिर नाव को सही करता है और वापस अपने घर जाके अपनी माँ का इलाज करवाता है।
इस कहानी में जैसे रामु को हर बार मुसीबतो का सामना करना पड़ता है ठीक इसी प्रकार हमारे साथ भी होता है, हम लक्ष्य के करीब होते है किसी कारण से काम को छोड़ देते है जो हमें नहीं छोड़ना चाहिए।

3.विश्वास की ताकत - Short motivational story in Hindi for student

motivational story in Hindi


एक गांव में 12 साल का लड़का रहता था जिसका नाम रवि था। उसके पास के गांव में मेला लगा था तो रवि अपने पिता से मेले में घूमने को बोलता है और उसके पिता मेले में जाने के लिए मान जाते है।

रवि और उसके पिता मेले में खूब मौज मस्ती करते है फिर रवि अपने पिता से बोलता है "पिता जी मै सर्कस देखना चाहता हु"

रवि और उसके पिता सर्कस देखने जाते है जब रवि वहाँ पहोच जाता है तो वो देखता है एक विशाल हाथी को एक पतली सी रस्सी से बाँधा गया वो ये देख कर हैरान हो जाता है की इतने विशाल हाथी को एक पतली सी रस्सी से बांधा गया जिसे वो एक झटके में ही तोड़ सकती है।

रवि को यह देखकर उसके मन में बहोत से सवाल उठते है और वो अपने पिता से बोलता है "पिता जी इतने विशाल  हाथी को  कमजोर और पतले रस्सी से क्यों बंधा गया है अगर हाथी चाहे तो उसे एक झटके में ही तोड़ दे"

उसके पिता रवि की बात सुनकर मन ही मन सोचने लगते है की रवि की बात तो सही है इतना विशाल हाथी तो इस रस्सी को एक झटके में ही तोड़ सकता है फिर उसे इतने कमजोर रस्सी से क्यों बंधा गया है।

रवि के  रहा नहीं जाता तो वो हाथी के मालिक से पूछ लेते है की हाथी को  रस्सी से बांधकर क्या फायदा अगर हाथी चाहे तो इस रस्सी  एक झटके में ही तोड़ सकती है।

यह सुनकर हाथी का मालिक मुस्कुराता है और बोलता है "श्रीमान यह हाथी जब छोटा था तब उसे इसी रस्सी से बाँधा गया था

 और उस समय हाथी छोटा था तो उसके हजारो प्रयास करने के बाद भी वो रस्सी नहीं तोड़ पाया और उसे  विश्वास हो गया की वो अब ये रस्सी कभी नहीं तोड़ पायेगा और उसने प्रयास करना बंद कर दिया इसलिए वो इतनी कमजोर रस्सी से बंधा हुआ है और उसे तोड़ने का प्रयास नहीं कर रहा है।"

जैसे उस हाथी को लगता है की ये रस्सी नहीं तोड़ पायेगा वैसे ही हम भी जब 3 या 4 बार हार जाते है तो हमें भी यही लगता है की अब हम इस काम को नहीं कर पाएंगे और यही विश्वास के चलते हम अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाते आपको हमेशा यह विश्वास होना चाहिए की मै ये काम कर लूंगा तो आप दुनिया में कुछ भी कर लेंगे।

मूर्तिकार पिता बेटे - motivational story in Hindi

मूर्तिकार पिता बेटे - motivational story in Hindi

एक गांव में मूर्तिकार रहा करता था वह बहोत सुन्दर मुर्तिया बनाया करता था और उसे बेचकर अपना घर चलाया करता था फिर उसे एक बेटा हुआ और उस बच्चे ने बचपन से ही मुर्तिया बनानी शुरू करदी और कुछ दिन में बहोत अच्छी मुर्तिया बनाना सिख गया था।

बेटे की कामयाबी देखकर उसके पिता बहोत खुश हुआ करते थे लेकिन हर बार अपने बेटे के द्वारा बनाई  मूर्तियों में कोई ना कोई कमी निकल दिया करता था और बोलता था "बहोत अच्छा बना है लेकिन अगली बार इस कमी को दूर करने की पूरी कोशिश करना"

बेटा भी कोई शिकायत नहीं करता था वो अपने पिता के बातो पर अमल करता था और मूर्तियों को अच्छा बनाने की कोशिश करता था ऐसे लगातार मूर्तियों में सुधार की बजह से बेटे की मुर्तिया उसके पिता से भी अच्छी बनने लगी।

कुछ समय बाद ऐसा टाइम आ गया की बेटे की मूर्तियों को लोग ज्यादा पैसे देके खरीदने लगे जबकि पिता की मुर्तिया उसके पुराने कीमत पे ही बिकती रही लेकिन पिता अब भी बेटे की मूर्तियों में कमी निकाल देता था।

लेकिन बेटे को अब ये अच्छा नहीं लगता था और वो बिना मन कमियों को स्वीकार कर लेता था लेकिन फिर भी अपनी मूर्तियों में सुधार कर लेता था।

लेकिन एक समय ऐसा भी आया की बेटे के सब्र ने जवाब दे दिया और बाप जब कमिया निकल रहा था तब बेटे ने बोला आप मेरी मूर्ति में कमिया ऐसे निकलते है जैसे आप बहोत बड़े मूर्तिकार है अगर आप इतने ही बड़े मूर्तिकार होते तो आपकी मुर्तिया इतने कम कीमत में नहीं बिकती, मुझे नहीं लगता की अब मुझे आपके सलाह की जरुरत है मेरी मुर्तिया सबसे बढ़िया है।

पिता ने बेटे की बात सुनी तो उसने बेटे की मूर्तियों में कमिया निकलना बंद कर दिया, कुछ महीने तो वो लड़का खुश रहा लेकिन फिर उसने ध्यान दिया की लोग अब उसकी मूर्तियों की तारीफ नहीं किया करते और उसके मूर्तियों के दाम बढ़ना भी बंद हो गए।

शुरू  बेटे को कुछ  समझ नहीं आया लेकिन फिर वो अपने पिता के पास गया और उसे इस समस्या के बारे में बताया पिता ने बेटे की बात बहोत सुनी जैसे उसे पता था की एक दिन ऐसा भी आएगा बेटे ने भी इस बात पे ध्यान दिया और उसने पूछा "क्या आप जानते थे की ऐसा होने वाला है ?"

पिता ने जवाब दिया "हाँ, क्युकी आज से कई साल पहले मेरे साथ भी यही हुआ था।"

बेटे ने सवाल पूछा "तो आपने मुझे क्यों नहीं"

पिता ने जवाब दिया "क्युकी तुम समझना नहीं चाहते थे, मै जनता हु की मै तुम्हारे जैसा अच्छी मुर्तिया नहीं बनता और ये भी हो सकता है की मूर्तियों के बारे में मेरी सलाह गलत हो लेकिन मै जब तुम्हारी मूर्तियों में कमिया निकालता था तब तुम  बनाई गयी मूर्तियों से संतुष्ट नहीं होते थे और हमेशा अपनी मूर्तियों को बेहतर करने की कोशिश करते थे और वही बेहतर होने की कोशिश तुम्हारी कामयाबी का कारण था लेकिन जिस दिन तुम संतुष्ट हो गए और तुमने मान लिया की और इसमें कुछ बेहतर करने की गुंजाइस ही नहीं है, यही कारण है  अब  मूर्तियों की तारीफ नहीं होती और ना ही अब तुम्हे उन मूर्तियों के लिए ज्यादा पैसे मिला करते है"

बेटे ने पूछा "मुझे अब क्या करना चाहिए?"

पिता ने जवाब दिया "असंतुष्ट होना सिख जाओ मान लो की हमेशा तुम में बेहतर होने की गुंजाइस है और यही बात हमेशा तुमको एक अच्छा मूर्तिकार बनाये रखेगी।"

Comments