3 best Real life love stories in hindi
क्या आप internet पे रियल लव स्टोरी सर्च कर रहे है तो आप सही जगह आये है क्युकी यहाँ आपको 3 best real love stories हिंदी में मिलेगा जो आपको बहोत ही पसंद आने वाली है।
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हीर रांझा, सोहनी महिवाल के जैसी ही दुखद प्रेम कहानी सस्सी पुन्नू की भी है जिसे पढ़कर आपके आखो में आंसू और ऐसे प्रेमियों के लिए दिल में इज़्ज़त जरूर आ जाएगी।
भम्भोर राज्य के राजा के पास सब कुछ था धन, दौलत, इज़्ज़त, शौहरत कमी थी तो बस एक औलाद की, क्या-क्या नहीं किया राजा और उनके परिवार ने मंदिर, मस्जिद, दरगाह, मजार फिर आख़िरकार सालो बाद ऊपर वाले ने उनकी सुन ली और महल में गूंज उठी एक नन्ही सी जान किलकारियां नन्ही पारी दिखने में बेहद खूबसूरत राजा रानी के आँखों की तारा थी।
सालो बाद ये मानत जो पूरी हुई थी पर शायद इसे किसी की नजर लग गयी ज्योतिषियों अचनाक से भविष्यवाणी की की राजकुमारी तो अनोखा इश्क़ करेंगी आपके मर्जी के बैगर यह सुनकर राजा और पुरे परिवार के खिले हुए चेहरे पर ख़ुशी उड़ गयी।
अभी तो वह ठीक से खुशिया भी नहीं मना पाए थे की अचानक ये समाचार राजा को सब बर्दाश्त था लेकिन अपनी इज़्ज़त से खिलवाड़ बिलकुल भी नहीं गुस्से में राजा मंत्रियो को हुक्म दिया राजकुमारी मरवा दिया जाय पर फूलो सी नाजुक परियो सी सूरत राजकुमारी को मारने की ताकत मंत्रियो में नहीं थी।
बच्ची को संदूक में डाल नदी में बहा देने का फैसला किया गया उस दिन नदी के किनारे एक धोबी अपने दिन का काम ख़त्म ही कर ही चूका था, घर जाने को था की अचानक उसने नदी में एक संदूक देखा।
लालच में आकर वो नदी में कूद पड़ा और संदूक बहार निकलकर जब खोला तब उसे एक प्यारी सी बच्ची और इतना सारा सोना पाकर उसे अपने किस्मत पर यकीं ही नहीं हो रहा था।
इतना सलोना चाँद सा मुखड़ा देख उसने वही उसका नाम सस्सी रख दिया और जैसे-जैसे सस्सी बड़ी होती गयी उसके खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर तक होने लगे किसी ने जाके भम्भोर के राजा को बताया की धोबी के गर में एक लड़की जो की बहोत ही खूबसूरत है।
राजा को लगा की ऐसी खूबसूरती को तो सिर्फ महलो में स्थान है तो बस शादी का निमत्रण लेकर वह पहोच गया उस धोबी के घर पर अपनी सस्सी का तावीज जब उस राजा को दिखाया उसे देख राजा को याद आया की उसने तो वो तावीज अपने पुत्री के गले में बंधा था।
अपनी बदनीयती पर राजा ने पश्चाताप जताया और बेटी को साथ चलने को कहा पर सस्सी ने साफ़-साफ़ इंकार कर दिया।
अपने पापो का प्राश्चित करने के लिए उस राजा ने धोबी के झोपड़े को राजमहल में तब्दील कर दिया और सस्सी अपने धोबी पिता के साथ वह खुसी खुसी रहने लगी चुकी धोबी का घर नदी के किनारे था वह सौदागरों का आना जाना लगा रहता था।
एक दिन सस्सी ने उन सौदागरों के हाथ में एक तस्वीर देखी उसे देखते ही सस्सी उस तस्वीर पर मोहित हो गयी पूछने पर पता चला की वो तो पुन्नू की तस्वीर है वह पुन्नू को देखते ही उससे मिलने के लिए तड़पने लगी
और वो सौदागरों से बोलने लगी "सुनिए मुझे इनसे मिलना है आप कुछ भी करके मुझे इनसे मिलवा दीजिये न मै वादा करती हु की मै आपको ढेर सारा इनाम दूंगी"
इनाम का लालच और राजा की बेटी को मना कर देना का खौप उन्हें ले आया पुन्नू के घर के दरवाजे के पास लेकिन पुन्नू की माँ बोलती है "नहीं हम नहीं बेझते आपने बेटे को कही" पुन्नू की माँ ने साफ़ इंकार कर दिया लेकिन सौदागरों ने सस्सी की खूबसूरती के ऐसे गीत गाये की पुन्नू अब खुद जाने के लिए तैयार हो गया था।
पुन्नू को लेकर सौदागरों ने भम्भोर लौटा, कहते है पुन्नू और सस्सी ने जब एक दूसरे को पहली बार देखा की दोनों एक दूसरे में इस कदर खो गए की दस दिन निकल गए पता ही नहीं चला इधर अपने बेटे पुन्नू को ना पाकर उसकी माँ तड़प रही रही थी।
पुन्नू की माँ ने अपने बाकी बेटो से कहा "जल्दी जाओ और पुन्नू को वापिस लेकर आओ उसके बिना जी नहीं लगता मेरा"
भम्भोर पहुचकर जब उसके भाइयो ने उसे साथ चलने को कहा तो पुन्नू ने साफ़ इंकार कर दिया लेकिन सस्सी ने उनके भाइयो का स्वागत किया और उनके भाइयो की आने की खुसी में एक दावत भी रखा और रात भर दावत चली खाने पिने में कोई कमी नहीं थी।
रात भर के जश्न के बाद सस्सी थक कर सोने चली गयी और उधर पुन्नू को नसे की हालत में जबरदस्ती उठाकर उसके भाई अपने घर के लिए रवाना हो गए और जब सुबह सस्सी की नींद खुली पर भयानक सपना तो अब सुरु ही होने वाला था की जब उसके भाइयो का साजिस का पता चला तो वो फुट-फुट कर रोने लगी।
उसके आस पास के लोग उसे ताने मारने लगे "अरे तू बेवकूफ निकली तेरे बारे में जरा ना सोचा निकल लिया अपने भाइयो के साथ"
सस्सी की माँ ने भी पुन्नू के धोकेबाज़ होने की दलील देती रही लेकिन सस्सी का दिल ये सब मानने से इंकार कर रहा था और बस सस्सी निकल पड़ी अपंने पुन्नू की तलाश में रेगिस्तान उसे आता देख देखता ही रह गया तपती धुप जलती रेत, सस्सी को इन सबकी बिलकुल भी परवाह नहीं थी
वो नंगे पाँव हर जगह पुन्नू को ढूंढ़ती जा रही थी उसके पाँव में छाले पद गए थे प्यास की वजह से आखो से दिखना काम हो गया था पर उसे इस बात का होश न था वो तो अपने पुन्नू के लिए चली जा रही थी और जाते-जाते वो प्यास की वजह से गिर गयी।
जब पुन्नू को होश आया उसे अपने भाइयो के शाजिश के बारे में पता चला तो नंगे पाँव दौड़ते-दौड़ते सस्सी से मिलने के लिए आने लगा और रास्ते में एक भेड़ बकरी चराने वाले ने सस्सी के बारे में बताया।
कहते है पुन्नू ने जैसे ही सस्सी को देखा उसने भी वही उसी वक्त सस्सी के पास अपने प्राण त्याग दिए तो ऐसी थी सस्सी पुन्नू की मोह्हबत जरूर लेकिन पूरी नहीं हो पायी।
दो शब्दों को प्यार में बया नहीं किया जा सकता और न ही इसकी कोई परिभाषा है, इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है, प्यार एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जो दो लोगो को बहुत गहराई से आपस में जोड़ता है।
यह एक ऐसा बंधन है जो दो लोगो के रूह को आपस में बाँध देता है, प्यार आसानी से किसी से तो हो सकता है पर आसानी से ख़त्म नहीं होता, प्यार को सिर्फ वही महसूस कर सकता है जो सच में किसी से सच्चा प्यार करता है।
ऐसी दुनिया में कई प्यार के किस्से और कहानी जो हमें प्रमाणित करते है की सच्चा प्यार न किसी से हारता है ना कभी झुकता है वो हमेशा अमर रहता है चाहे दुनिया कितनी भी ज़ालिम हो जाये आखिर में जीत प्यार की ही होती है।
इन्ही कहानियों में से एक कहानी हीर राँझा की है जिन्होंने अपने प्यार की एक अमीठ छाप छोड़ी जिसे दुनिया आज भी याद करता है और उनका प्यार आज भी अमर माना जाता है।
पाकिस्तान की चेन्नाव नदी के किनारे पर तख्तहजारा नामक गांव था, मौजूद चौधरी गांव का मुख्य जमींदार था, मौजूद चौधरी के चार पुत्र थे जिसमे से सबसे छोटा पुत्र का नाम रांझा था।
रांझा का असली नाम ढिडो था और उसका उपनाम रांझा था इसलिए उसे लोग रांझा के नाम से पुकारते थे, रांझा सब भाइयो में सबसे छोटा होने कारण अपने पिता का लाडला था।
रांझा के बड़े भाई खेतो में कड़ी मेहनत करते थे और रांझा पूरा दिन कभी इस भाग में उस बाग़ में दिन घूमता और बासुरी लेकर बजाता रहता था, जिस कारन उसके बड़े भाई उससे नफरत करते थे।
राँझा को बचपन में ही खूबसूरती से इश्क था उसने अपने लिए सपनो में ही एक हसीना की तस्वीर बना ली थी, राँझा बड़ा ही आशिक मिजाज का था।
जब राँझा 12 वर्ष का हुआ तो उसके पिता की मृत्यु हो गयी और धीरे-धीरे भाइयो से भी विवाद होने लगा एक दी राँझा और उसके भाई उससे अलग हो गए, अपने भाइयो से अलग होकर राँझा पुरे दिन पेड़ो के निचे बैठा करता और अपने मन गढन सहजादी के बारे में सोचा करता था।
एक दिन उसे एक पीर बाबा मिले और उससे पूछे की तुम इतने दुखी क्यों हो फिर राँझा ने अपने द्वारा रचित प्रेम गीत सुनाये जिसने उसे अपने मन गढन शहजादी का उल्लेख किया था।
रांझा के गीत सुनकर पीर बाबा ने रांझा से कहा तुम्हारी सपनो की शहजादी हीर के अलावा और कोई नहीं हो सकती यह सुन रांझा अपनी हीर की तलाश में वहाँ से निकल पड़ा, चलते-चलते रात हो गयी फिर राँझा ने एक मस्जिद में आश्रय लिया और अगली सुबह वह मस्जिद से रवाना हो गया।
अपनी हीर को ढूंढते -ढूंढ़ते वह एक गांव में पंहुचा जहा उसे हीर मिली जो एक सियाल जनजाति के सम्पन जाट परिवार से सम्बन्ध रखती थी।
यह जगह अभी पंजाब पाकिस्तान में है, पहली बार हीर को देखते ही रांझा समझ गया की यही मेरी सपनो की शहजादी है।
हीर बहोत ही शख्त दिमाग वाली और खूबसूरत लड़की थी, एक रात चुपके से राँझा हीर के नाव में सो जाता है यह देखकर हीर आग बबूला हो गयी लेकिन जैसे ही उसने रांझे को सामने से देखा तो वह अपना गुस्सा भूल गई और रांझे को देखते रह गयी
तब राँझा ने हीर से अपने सपनो की बात कही, रांझे पे फ़िदा हीर उसे अपने घर ले गई और अपने यहाँ नौकरी पर रखवा दिया।
हीर के पिता ने राँझा को मवेशी चराने का काम सौप दिया, हीर राँझा की बासुरी की आवाज में मंत्र मुग्ध हो जाती थी और धीरे-धीरे हीर को रांझा से गहरा प्यार हो गया वो दोनों कई सालो तक गुप्त जगहों पे मिलते रहे लेकिन हीर के चाचा को इस बात की भनक लग गयी और सारी बात हीर के पिता चूचक और माँ मालकी को बता दी अब हीर के घरवालों ने रांझा को नौकरी से निकाल दिया और दोनों को मिलने से मना कर दिया।
कुछ दिनों बाद हीर के पिता ने हीर को सैदा खेरा नाम के व्यक्ति से विवाह करने के लिए मजबूर किया, मौलवियों और अपने परिवार के दवाब में आकर उसने सैदा खेरा नामक व्यक्ति से विवाह कर लिया।
जब इस बात की खबर रांझा को पता चली तो उसका दिल टूट गया और वह ग्रामीण इलाको में अकेला दर बदर भटकता रहा फिर एक दिन एक जोगी गोरख नाथ मिला जोगी संप्रदाय के कानफटा समुदाय से था।
उसके सानिध्य में उसके साथ रहकर रांझा भी जोगी बन गया रब का नाम लेता हुआ वो पुरे पंजाब में भटकता रहा और अंत में उसको उसके हीर का गांव मिल गया जहा वह रहती थी।
रांझा हीर के पति सैदा के घर गया और उसका दरवाजा खटखटाया उसकी आवाज सुनकर हीर बाहर आई और रांझा को भिक्षा देने लगी।
दोनो एक दूसरे को देखते रह गए, रांझा रोजाना फकीर बनकर आता और हीर उसे भिक्षा देती, दोनो रोजाना ऐसे मिलने लगे लेकिन ये सिलसिला ज्यादा देर तक चल नही सका और एक दिन हीर की भाभी ने यह सब देख लिया।
उसकी भाभी ने हीर को टोका तो रांझा गांव से बाहर चला गया, हीर के गांव के सारे लोग इसे फकीर मानकर उसे पूजने लगे।
रांझा की जुदाई में हीर बीमार हो गई जब बैद्द और हकीम से हीर का इलाज नही हुआ तो उसके ससुर ने रांझे के पास जाकर उसकी मदत मांगी और रांझा हीर के घर गया फिर उसने हीर के सर पर अपना हाथ रखा और हीर की चेतना लौट आई जब लोगो को पता चला की वो फकीर रांझा है
तब गांव के लोगो ने रांझा को पीटकर गांव से बाहर कर दिया फिर राजा ने उसे चोर समझकर पकड़ लिया।
लेकिन रांझा ने जब राजा को हकीकत बताई और अपने प्यार की परीक्षा देने के लिए आग पर हाथ रख दिया तब राजा ने हीर के पिता को आदेश दिया की वो हीर की शादी रांझा से करा दे, राजा की आज्ञा की डर से हीर के पिता ने इस शादी की मंजूरी देदी
लेकिन शादी के दिन हीर के चाचा ने हीर के खाने में जहर मिला दिया ताकि ये शादी न हो पाए ये सूचना जैसे ही रांझा को मिली वो दौड़ता हुआ हीर के पास पहुंचा लेकिन अब बहोत देर हो चुकी थी।
हीर ने वो खाना खा लिया था जिसमे जहर मिला हुआ था जिससे उसकी मौत हो गई थी, रांझा अपने प्यार के मौत के दुख को झेल नहीं पाया और उसने भी वो जहर वाला खाना खा लिया और हीर के करीब ही रांझें ने भी अपना दम तोड दिया।
हीर और रांझा को उनके पैतृक गांव झंग में ही दफ्न किया गया जहा आज भी उन दोनो का उनके प्रेम का मजार बना हुआ है, भले ही हीर और रांझा मर गए हो लेकिन उनकी मोहब्बत आज भी लोगो के दिलो में जिंदा है।
sohani mahiwal |