Sassi Punnu real love story in hindi

हीर रांझा, सोहनी महिवाल के जैसी ही दुखद प्रेम कहानी सस्सी पुन्नू की भी है जिसे पढ़कर आपके आखो में आंसू और ऐसे प्रेमियों के लिए दिल में इज़्ज़त जरूर आ जाएगी।

भम्भोर राज्य के राजा के पास सब कुछ था धन, दौलत, इज़्ज़त, शौहरत कमी थी तो बस एक औलाद की, क्या-क्या नहीं किया राजा और उनके परिवार ने मंदिर, मस्जिद, दरगाह, मजार फिर आख़िरकार सालो बाद ऊपर वाले ने उनकी सुन ली और महल में गूंज उठी एक नन्ही सी जान किलकारियां नन्ही पारी दिखने में बेहद खूबसूरत राजा रानी के आँखों की तारा थी।

Sassi Punnu real love story in hindi

सालो बाद ये मानत जो पूरी हुई थी पर शायद इसे किसी की नजर लग गयी ज्योतिषियों अचनाक से भविष्यवाणी की की राजकुमारी तो अनोखा इश्क़ करेंगी आपके मर्जी के बैगर यह सुनकर राजा और पुरे परिवार के खिले हुए चेहरे पर ख़ुशी उड़ गयी।


अभी तो वह ठीक से खुशिया भी नहीं मना पाए थे की अचानक ये समाचार राजा को सब बर्दाश्त था लेकिन अपनी इज़्ज़त से खिलवाड़ बिलकुल भी नहीं गुस्से में राजा मंत्रियो को हुक्म दिया राजकुमारी  मरवा दिया जाय पर फूलो सी नाजुक परियो सी सूरत राजकुमारी को मारने की ताकत मंत्रियो में नहीं थी।

बच्ची को संदूक में डाल नदी में बहा देने का फैसला किया गया उस दिन नदी के किनारे एक धोबी अपने दिन का काम ख़त्म ही कर ही चूका था, घर जाने को था की अचानक उसने नदी में एक संदूक देखा।


लालच में आकर वो नदी में कूद पड़ा और संदूक बहार निकलकर जब खोला तब उसे एक प्यारी सी बच्ची और इतना सारा सोना पाकर उसे अपने किस्मत पर यकीं ही नहीं हो रहा था।


इतना सलोना चाँद सा मुखड़ा देख उसने वही उसका नाम सस्सी रख दिया और जैसे-जैसे सस्सी बड़ी होती गयी उसके खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर तक होने लगे किसी ने जाके भम्भोर के राजा को बताया की धोबी के गर में एक लड़की जो की बहोत ही खूबसूरत है।


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राजा को लगा की ऐसी खूबसूरती को तो सिर्फ महलो में स्थान है तो बस शादी का निमत्रण लेकर वह पहोच गया उस धोबी के घर पर अपनी सस्सी का तावीज जब उस राजा को दिखाया उसे देख राजा को याद आया की उसने तो वो तावीज अपने पुत्री के गले में बंधा था।


अपनी बदनीयती पर राजा ने पश्चाताप जताया और बेटी को साथ चलने को कहा पर सस्सी ने साफ़-साफ़ इंकार कर दिया।


अपने पापो का प्राश्चित करने के लिए उस राजा ने धोबी के झोपड़े को राजमहल में तब्दील कर दिया और सस्सी अपने धोबी पिता के साथ वह खुसी खुसी रहने लगी चुकी धोबी का घर नदी के किनारे था वह सौदागरों का आना जाना लगा रहता था।


एक दिन सस्सी ने उन सौदागरों के हाथ में एक तस्वीर देखी  उसे देखते ही सस्सी उस तस्वीर पर मोहित हो गयी पूछने पर पता चला की वो तो पुन्नू की तस्वीर है वह पुन्नू को देखते ही उससे मिलने के लिए तड़पने लगी


और वो सौदागरों से बोलने लगी "सुनिए मुझे इनसे मिलना है आप कुछ भी करके मुझे इनसे मिलवा दीजिये न मै वादा करती हु की मै आपको ढेर सारा इनाम दूंगी"


इनाम का लालच और राजा की बेटी को मना कर देना का खौप उन्हें ले आया पुन्नू के घर के दरवाजे के पास लेकिन पुन्नू की माँ बोलती है "नहीं हम नहीं बेझते आपने बेटे को कही" पुन्नू की माँ ने साफ़ इंकार कर दिया लेकिन सौदागरों ने सस्सी की खूबसूरती के ऐसे गीत गाये की पुन्नू अब खुद जाने के लिए तैयार हो गया था।


पुन्नू को लेकर सौदागरों ने भम्भोर लौटा, कहते है पुन्नू और सस्सी ने जब एक दूसरे को पहली बार देखा की दोनों एक दूसरे में इस कदर खो गए की दस दिन निकल गए पता ही नहीं चला इधर अपने बेटे पुन्नू को ना पाकर उसकी माँ तड़प रही रही थी।


पुन्नू की माँ ने अपने बाकी बेटो से कहा "जल्दी जाओ और पुन्नू को वापिस लेकर आओ उसके बिना जी नहीं लगता मेरा"


भम्भोर पहुचकर जब उसके भाइयो ने उसे साथ चलने को कहा तो पुन्नू ने साफ़ इंकार कर दिया लेकिन सस्सी ने उनके भाइयो का स्वागत किया और उनके भाइयो की आने की खुसी में एक दावत भी रखा और रात भर दावत चली खाने पिने में कोई कमी नहीं थी।


रात भर के जश्न के बाद सस्सी थक कर सोने चली गयी और उधर पुन्नू को नसे की हालत में जबरदस्ती उठाकर उसके भाई अपने घर के लिए रवाना हो गए और जब सुबह सस्सी की नींद खुली पर भयानक सपना तो अब सुरु ही होने वाला था की जब उसके भाइयो का साजिस का पता चला तो वो फुट-फुट कर रोने लगी।


उसके आस पास के लोग उसे ताने मारने लगे "अरे तू बेवकूफ निकली तेरे बारे में जरा ना सोचा निकल लिया अपने भाइयो के साथ"


सस्सी की माँ ने भी पुन्नू के धोकेबाज़ होने की दलील देती रही लेकिन सस्सी का दिल ये सब मानने से इंकार कर रहा था और बस सस्सी निकल पड़ी अपंने पुन्नू की तलाश में रेगिस्तान उसे आता देख देखता ही रह गया तपती धुप जलती रेत, सस्सी को इन सबकी बिलकुल भी परवाह नहीं थी 


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वो नंगे पाँव हर जगह पुन्नू को ढूंढ़ती जा रही थी उसके पाँव में छाले पद गए थे प्यास की वजह से आखो से दिखना काम हो गया था पर उसे इस बात का होश न था वो तो अपने पुन्नू के लिए चली जा रही थी और जाते-जाते वो प्यास की वजह से गिर गयी।


जब पुन्नू को होश आया उसे अपने भाइयो के शाजिश के बारे में पता चला तो नंगे पाँव दौड़ते-दौड़ते सस्सी से मिलने के लिए आने लगा और रास्ते में एक भेड़ बकरी चराने वाले ने सस्सी के बारे में बताया।


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कहते है पुन्नू ने जैसे ही सस्सी को देखा उसने भी वही उसी वक्त सस्सी के पास अपने प्राण त्याग दिए तो ऐसी थी सस्सी पुन्नू की मोह्हबत जरूर लेकिन पूरी नहीं हो पायी।

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