300+ Best Moral Stories In Hindi 2021 | नैतिक कहानियाँ हिंदी में

Moral Stories जिसे हिंदी में नैतिक कहानियाँ बोला जाता है एक अच्छा और सामाजिक व्यक्ति वही होता है जिसके अंदर नैतिकता होती है, नैतिकता हमारे समाज को बेहतर बनता है और समाज के साथ-साथ एक अच्छा व्यक्ति भी बनता है जो सामाजिक जीवन को आसान कर देता है इसलिए हर व्यक्ति को नैतिक कहानियाँ खासकर के छोटे बच्चो को जरूर पढ़ना चाहिए।


खरगोश और कछुआ- moral story in Hindi

moral story in hindi

बहोत समय पहले की बात है एक जंगल में भेड़िया, खरगोश और कछुआ रहते थे वो तीनो रोज़ जंगल के अंदर एक जगह मिलते थे भेड़िया और खरगोश जल्दी पहोच जाते थे।

पर कछुआ हमेशा देरी से आता था खरगोश हमेशा कछुए का मज़ाक उडाता था और हमेशा कछुए को बोलता था "अरे तुम कितने आलसी हो, मेरी तरह तेजी से चला करो"

खरगोश की बाते भेड़िये को अच्छी नहीं लगाती थी तो भेड़िये ने बोला "तुम इसका मजाक क्यों उड़ाते हो सच कहु तो तुम कछुए से दौड़ में नहीं जीत सकते"

तो खरगोश बोलता है "ये कछुआ क्या हराएगा मुझे" तो भेड़िया बोलता है "अच्छा इतना अहंकार तो चलो एक दौड़ की प्रतियोगिता रखते है देखते है कौन जीतता है"

फिर कछुए और खरगोश में प्रतियोगिता चालू हुई, खरगोश तो बहोत तेजी से दौड़ रहा था लेकिन वही कछुआ बहोत धीरे-धीरे चल रहा था।

कुछ देर बाद खरगोश बहोत आगे चला गया और पीछे मुड़ कर देखा तो कछुआ दिख नहीं रहा था वह बहोत पीछे था तो खरगोश बोलता है "वो मुझसे कभी नहीं जीत पायेगा जरा आराम तो कर लू"

यह बोलकर खरगोश एक बड़े पेड़ की छाँव में लेट गया और चैन की नींद सो गया।

कुछ देर बाद कछुआ भी उस बड़े से पेड़ के निचे पहोच गया और उसने देखा खरगोश गहरी नींद में सो रहा है लेकिन वो अपनी गति से बिना रुके अपनी मंजिल की ओर चल पड़ा कुछ देर बाद कछुआ अपनी मंजिल पर पहोच गया।

सारे जानवर उसका अभिनन्दन करने लगे, बड़ी देर बाद खरगोश नींद से जागा पीछे मुड़ कर देखा तो कछुआ नहीं दिखा तो खरगोश ने बोला "वो आलसी कछुआ दिखाई भी नहीं दे रहा भला मुझसे कौन जीत सकता है।"

इतना बोलकर वो मंजिल की तरफ भागने लगा और अंतिम स्थान पहुंचते ही उसे झटका लगा क्युकी कछुआ तो वहाँ पहले से ही पंहुचा चूका था, सभी जानवर खरगोश को देखकर हसने लगे।

खरगोश शर्मिंदा हो गया, भेड़िये ने बोला "देखा तुमने तुम्हारा घमंड तुम्हारे मंजिल में रूकावट बन गया कछुए ने धीमे से ही सही लेकिन ध्यान से अपनी मंजिल हासिल कर ली और वो जीत गया अब से तुम किसी को कम मत समझना और उसे निचा ना दिखाना"

moral of the story-

आप कितने भी कमजोर क्यों न हो लेकिन दृढ़ निश्चय और एकाग्रता हमेशा मंजिल पर पंहुचा देती है।


चार दोस्त- moral story in hindi

moral story in hindi

एक जंगल में चार दोस्त कछुआ, चूहा, हिरन और कौआ रहते थे वो चारो रोज एक आम के पेड़ के निचे मिलते थे।

एक दिन कछुआ, चूहा, और कौआ तीनो पेड़ के निचे मिलने के लिए आये लेकिन हिरन नहीं आया तो उसके दोस्त उसका इन्तजार करने  लगे काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद चूहा बोला "अरे हमारा मित्र हिरन कहाँ रह गया अभी तक नहीं आया मुझे तो लगता है वो किसी बड़ी मुसीबत में है।"

तो कौआ भी बोला "हा मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है क्युकी हिरन हर बार सबसे पहले आता था लेकिन आज बहोत देर हो गयी अभी तक नहीं आया"

फिर कछुआ बोला "हा मुझे भी ऐसा लगता है चलो हम सब मिल कर हिरन को ढूंढ़ते है।"

तीनो दोस्त हिरन को ढूंढने निकल पड़े कुछ समय ढूंढने के बाद कौए को हिरन दिख जाता है मगर वो देखता है की हिरन किसी शिकारी के जाल में फसा हुआ है।

कौआ फिर चूहे के पास जाता है और उसे बोलता है "मुझे हिरन मिल गया लेकिन वो शिकारी के जाल में फसा है और तुम ही उस जाल को काटकर  हिरन को आजाद कर सकते हो"

तभी कछुआ भी आ जाता है और तीनो मिल कर हिरन के पास जाते है और चूहा जल्दी-जल्दी जाल काटकर हिरन को आजाद कर देता है लेकिन उसी वक्त शिकारी भी आ जाता है।

सभी लोग वहाँ से भाग जाते है और एक पत्थर के पीछे जाके छुप जाते है मगर कछुआ धीरे-धीरे भागता है तो शिकारी कछुए को देख लेता है और उसे पकड़कर एक थैले में बंद कर देता है।

कछुए को थैले में बंद करने के बाद शिकारी आपने घर की तरफ जाने लगता है तभी हिरन भागते हुए उस शिकारी के सामने जाके खड़ा हो जाता है और शिकारी जब उस हिरन को देखता है तो थैला फेक के हिरन को पकड़ने के लिए दौड़ता है।

उसी वक्त चूहा जाके उस थैले को काट कर कछुए को आजाद करता है और हिरन तेजी से भागकर अपनी जान बचा लेता है फिर चारो दोस्त रोज की तरह उसी पेड़ के निचे मिलते है।

moral of the story-

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है की हम एक साथ मिल कर किसी भी किसी भी समस्या को सुलझा सकते है।


जो भी होता है अच्छे के लिए होता है- moral story in Hindi

एक व्यक्ति के जीवन में बहोत परेशानिया बहोत उलझने आती रहती थी और एक दिन तो उसका पूरा दिन इतना ज्यादा ख़राब हुआ की वो परेशान हो गया अपनी जिंदगी से और रात के समय ईश्वर से फरियाद करने लगा वो इंसान बहोत गुस्से में था और परमात्मा से कहने लगा "आपने आज मेरा पूरा दिन ख़राब कर दिया, आपने क्यों ऐसा मेरे साथ किया"


तो परमात्मा ने कहा "क्यों ऐसा क्या हुआ तुम्हारे साथ" तो वो व्यक्ति बोला "मुझे सुबह को जल्दी उठना था लेकिन मेरा अलार्म नहीं बजा और मुझे उठने में देर हो गयी, एक तो मुझे पहले ही देर हो गयी थी और जैसे ही मैंने अपना स्कूटर स्टार्ट किया तो मेरा स्कूटर भी ख़राब हो गया, बहुत मुश्किल से मुझे एक रिक्शा मिली, देर होने की वजह से मै अपने ऑफिस में अपना टिफिन ले जाना भी भूल गया और जब ऑफिस पंहुचा तो वह कैंटीन भी बंद हो गयी थी बड़ी मुश्किल से मुझे कही से एक सैंडविच मिला और पूरा दिन मुझे उस एक सैंडविच से निकलना पड़ा लेकिन वो सैंडविच भी ख़राब था और कुछ देर बाद कही से मुझे फ़ोन पर एक अच्छा ऑफर आया लेकिन उसी समय पर मेरा फ़ोन ख़राब हो गया फिर मैंने सोचा घर जाकर ac चलकर सो जाऊंगा और आराम करूँगा लेकिन मै जैसे ही घर पहोचा तो लाइट गयी हुई थी मुझे समझ नहीं आ रहा की ये साड़ी तकलीफ मुझे ही क्यों देते है आपको कोई और नहीं मिलता क्या"


तो परमात्मा ने उससे कहा "तू मेरी बात ध्यान से सुन आज सारा दिन तुझपर मुस्किले और आफ़ते आने वाली थी इसलिए मैंने देव दूत को भेजकर तेरा अलार्म बजने ही नहीं दिया और आज तेरा स्कूटर से एक्सीडेंट होने वाला था इसलिए मैंने तेरा स्कूटर बिगाड़ दिया और जिस कैंटीन की तू बात कर रहा है उसका खाना ख़राब हो चूका था जो तेरे शरीर को भयानक नुकसान पहुँचता और जिस इंसान से तू फ़ोन पर बात कर रहा था वो इंसान एक नंबर का घोटाले बाज़ था जो तुझे बहोत बड़ी मुश्किल में फसा देता इसलिए तेरा फ़ोन बंद करा दिया और आज तेरे घर में शार्ट सर्किट से आग लगने वाली थी इसलिए मैंने तेरी बिजली ही बंद करवा दी, मैंने तुझे दुःख देने या परेशान करने के लिए ये सारी उलझने नहीं दी मैंने तो तुझे बचाने के लिए ये सब किया है"


जब उस व्यक्ति को पता चला की जो कुछ भी हुआ मेरी रक्षा के लिए हुआ है तो वो परमात्मा से माफ़ी मांगने लगा की मुझे माफ़ कर दो मैं आपको समझ नहीं पाया तो परमात्मा ने कहा माफ़ी मांगने की जरुरत नहीं है लेकिन विश्वास रख मै हमेशा तेरे साथ हु मै हमेशा सबका भला करता हु, मै जो भी करूँगा तेरे भले के  करूँगा 

moral of the story - 

जीवन में कभी कभी हमारे साथ ऐसी घटनाये हो जाती है की हमें लगता है हमारे ही साथ बुरा क्यों होता है लेकिन कुछ समय या साल बाद हमें समझ आता है की जो भी हुआ सही हुआ अगर ये घटना मेरे साथ नहीं होती तो इससे भी बुरा मेरे साथ होता।




अच्छे कर्म का मीठा फल- moral story in Hindi

एक राजा ने अपने तीन मंत्रियो को दरबार में बुलाया और तीनो को आदेश दिया की एक-एक थैला लेकर बगीचे में जाए और वहाँ जो अच्छे-अच्छे फल मिले वो उस थैले में डालकर लेकर आये।


तीनो मन्त्रिया अलग-अलग  गए पहले मंत्री ने कोशिश की राजा के लिए अच्छे से अच्छे फल लेकर जाये जो मीठे भी हो और स्वास्थवर्धक भी हो उसने बहोत मेहनत करके अच्छे और मीठे फल चुने।


दूसरे मंत्री ने सोचा राजा कौन सा सब फल खाने वाला है तो उसने जल्दी जल्दी में कुछ अच्छे फल कुछ सडे गले फल उस थैले में डाल दिए।


तीसरे मंत्री ने सोचा राजा की नजर तो सिर्फ भरे हुए थैले पर जायेगी अंदर क्या है वो चेक करके थोड़ी देखेगा तो उसने आपने समय बचाने के लिए जल्दी-जल्दी उसमे घास और पत्ते भर दिए 

दूसरे दिन राजा ने तीनो मंत्रियो को उनके थैले समेत दरबार में बुलाया लेकिन उनके थैले खोलकर भी नहीं देखे और आदेश दे दिया की इन तीनो को इनके थैले समेत जेल में डाल दिया जाए और इन्हे खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया जाए जो भी इनके थैले में है वो यही खा कर काम चलाएंगे।


उन तीनो मंत्रियो को उनके थैले समेत जेल में बंद कर दिया गया अब जेल में उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था सिवाय उन फलो के तो जो पहला मंत्री था उसके पास मीठे और स्वास्थवर्धक फल थे और वो मजे से खाता रहा और जो दूसरा मंत्री था उसको कुछ फल अच्छे मिले कुछ फल ख़राब लेकिन जो तीसरा मंत्री था उसके पास खाने के लिए सिर्फ घास पूस और पत्ते थे 15   दिन की कैद के बाद जो पहला मंत्री था वो बिलकुल स्वस्थ था लेकिन जो दूसरा मंत्री था वो बहोत बीमार होकर निकला और जो तीसरा मंत्री था वो 15 दिन के कैद में ही मर गया।


moral of the story - 

हम जो भी कर्म करते है उसका फल हमें बुरे वक्त में मिलता है अगर हम जिंदगी भर बुरे कर्म किये है किसी का बुरा किया किसी को दुःख पहोचाया है तो हमारे भी बुरे वक्त में कोई साथ नहीं देता है।



कल किसने देखा है - moral story in Hindi

एक बहोत आमिर व्यक्ति था उसने अपना सारा जीवन धन कमाने में निकाल दिया, उसके पास इतना पैसा था की वो जो चाहे खरीद सकता था लेकिन उसने अपने पुरे जीवन में किसी की भी मदत नहीं की इतना आपार धन होने के बाद भी उसने अपने लिए नहीं धन का कभी उपयोग नहीं किया ना कभी अपने पसंद के कपडे पहने और न अच्छा भोजन किया और नाही कभी अपने इच्छाओ को अपने सपनो को पूरा किया।


वो सारी जिंदगी बस पैसे कमाने में व्यस्त रहता था और पैसे कमाने में इतना ज्यादा व्यस्त हो गया उसे पता ही नहीं चला की कब उसका बुढ़ापा आ गया और वो जिंदगी के आखरी पड़ाव पे आ गया।


इस तरह आखिर वो दिन भी आ गया जो उसकी जिंदगी का आखरी दिन था और एक दिन उसे लेने के लिए मृत्यु खुद आ गयी।


मृत्यु ने उस व्यक्ति से कहा "तेरा अंतिम समय आ गया है और मैं तुझे अपने साथ लेने आयी हूँ "


मृत्यु की ये बात सुनकर ये आदमी बोला "अरे मैंने तो अभी अपनी जिंदगी को ठीक से जिया भी नहीं है मैं तो पैसा कमाने में व्यस्त था और पैसे कमाने में इतना व्यस्त हो गया की मुझे अपने पैसा का उपयोग करने का टाइम ही नहीं मिला लेकिन मुझे अब उन पैसो का खर्च करने के लिए थोड़ा समय चाहिए "


लेकिन मृत्यु ने उससे कहा "मै तुम्हे अब और समय नहीं दे सकती तुम्हारी जिंदगी का सारा समय समाप्त हो चूका है और अब उन दिनों को बढ़ाया नहीं जा सकता"


मृत्यु की ये बात सुनकर उस आदमी ने कहा "मेरे पास इतना पैसा है अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे अपना आधा धन तुमको दे सकता हु लेकिन मुझे 1 साल और देदो जीने के लिए"


लेकिन मृत्यु ने कहा "ऐसा संभव ही नहीं है " फिर इस पर उस आदमी ने बोला "अगर तुम चाहो तो मै तुमको अपनी कमाई का 90 % हिस्सा तुम्हे दे सकता हु लेकिन मुझे सिर्फ एक महीने का समय देदो जिससे मैं अपनी इच्छाओ को पूरा कर सकू अपने सपनो को जी सकू जिन कामो को मैंने कल पर टाल रखा था वो सारे काम कर सकू"


लेकिन मृत्यु ने फिर माना  कर दिया और कहा की "नहीं मैं तुम्हे एक महीने का समय नहीं दे सकती"


फिर उस आदमी ने कहा की "तुम मेरा सारा धन लेलो लेकिन मुझे एक दिन का समय देदो" तब मृत्यु ने उसे समझाया की मैं तुम्हे एक दिन तो क्या एक घंटे का भी समय नहीं दे सकती फिर मृत्यु ने उसे समझते हुए कहा की "तुम धन को तो प्राप्त कर सकते हो लेकिन धन से समय को कभी प्राप्त नहीं कर सकते"


जब उस व्यक्ति को यह समझ में आया की मैं अपनी साड़ी जिंदगी की दौलत देकर भी अपने लिए एक दिन भी नहीं खरीद सकता तो इस जिंदगी का मोल धन से कितना ज्यादा बढकर है।


moral of the story - 

यह कहानी हमारी जिंदगी से जुडी हुई है हम लोग भी सारी जिंदगी ऐसे ही दौड़ते रहते है की एक दिन जिंदगी में जियेंगे भविष्य में कभी आराम करेंगे लेकिन वो दिन कभी आता ही नहीं है, तो इस कहानी से यही शिक्षा लेनी चाहिए की जिंदगी में जो कुछ भी जरुरी है उसे कल पर मत टालो उसे आज ही कर डालो क्युकी कल किसने देखा है।

Comments