प्रेम पर ओशो के 20 अद्भुत विचार

प्रेम पर ओशो के विचार और प्रवचन

ओशो प्रेम को पूरी तरह से समझे और वो प्रेम में ही जिए और उनका पूरा जीवन जो है वो प्रेम का एक सन्देश है।

आज आपको इस लेख में प्रेम पर ओशो के विचार बताया जायेगा जिसके बाद आपको प्रेम को देखने का नजरिया बदल जायेगा।

ओशो कहते है आदमी में व्यक्तित्व के तिन तल शारीर, मन और आत्मा है और प्रेम इन तीनो तलो पे हो सकता है लेकिन उसकी गुणवत्ता अलग-अलग हो सकती है।

शारीर के तल पर वह मात्र एक आकर्षण होता है तुम भले ही उसे प्रेम कहो, कुछ लोग तो सेक्स को ही प्रेम कहते है लेकिन सेक्स शारीरिक है यदि आप शारीर देख के आकर्षित हुए है तो ये प्रेम प्रसंग नही है।

इसे रासायनिक प्रंसंग कहना ज्यादा उचित होगा, जरा सोचो जिस स्त्री के प्रेंम में आप हो वो डॉक्टर के पास जाके अपना जेंडर चेंज करा ले दाढ़ी मुछ उगा ले तब भी आप उससे प्रेम करेंगे।

अगर तब भी आप उस स्त्री से प्रेम करेंगे तो ये प्रेम है लेकिन उसके जेंडर चेंज कराने से आपका प्रेम भी ख़तम हो जाये तो प्रेम नही है।

ओशो ने प्रेम के ऊपर बहोत सारे प्रवचन दिए है जिसके ऊपर किताबे भी लिखी गयी है, इसलिए प्रेम के ऊपर ओशो के अन्य विचार जो है आपको कोट्स के रूप में निचे लिखी मिल जाएगी।

प्रेम पर ओशो के अन्य विचार / osho quotes about love in hindi

1. सच्चा प्रेम अकेलेपन से बचना नहीं है, सच्चा प्रेम बहता हुआ अकेलापन है. अकेले रहने में कोई इतना खुश रहता है कि वो इसे बांटना चाहता है।

2.प्रेम की सर्वश्रेष्ठ सीमा आज़ादी है, पूरी आज़ादी। किसी भी रिश्ते के खत्म होने का मुख्य कारण आज़ादी का न होना ही है।

3. इस दुनिया में दोस्ती ही सच्चा प्यार है। दोस्ती का भाव प्रेम का सर्वोच्च रूप है, जहां कुछ भी मांगा नहीं जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहां बस दिया जाता है।

4. अगर आप प्रेम से रहते हैं, प्यार के साथ रहते हैं तो आप एक महान जिंदगी जी रहे हैं, क्योंकि प्यार ही जिंदगी को महान बनाता है।

5. वासना भौतिक है. अहंकार मनोवैज्ञानिक है, प्रेम आध्यात्मिक होता है।

6. प्रेम में दूसरे महत्वपूर्ण होते हैं, वासना में आप महत्वपूर्ण होते हैं।

7. जब भी आप प्रेम की योजना बनाते हैं और जब भी आपका ध्यान पूरी तरह से उसमें शामिल हो जाता है, तब ये प्रेम झूठा और पाखंडी बन जाता है।

8. मित्रता शुद्धतम प्रेम है. ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता , कोई शर्त नहीं होती , जहां बस देने में आनंद आता है।

9. जैन लोग बुद्ध को इतना प्रेम करते हैं कि वो उनका मज़ाक भी उड़ा सकते हैं. ये अथाह प्रेम कि वजह से है, उनमे डर नहीं है।

10. प्रेम तब खुश होता है जब वो कुछ दे पाता है. अहंकार तब खुश होता है जब वो कुछ ले पाता है।

11.प्रेम एक पक्षी है, जिसे आज़ाद रहना पसंद है। जिसे बढ़ने के लिए पूरे आकाश की जरूरत होती है।

12. प्रेम तभी सच्चा होता है, जब कोई एक दूसरे के व्यक्तिगत मामलों में दखल न दें। प्यार में दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

13. पुरुष जितना प्रेम शब्दों में प्रकट करेगा उससे कई गुना ज्यादा स्त्री मौन में प्रकट कर देगी।

14.  प्रेम एक शराब है, आपको उसका स्वाद लेना चाहिए, उसे पीना चाहिए, उसमें पूरी तरह से डूब जाना चाहिए। तभी आपको पता चल पाएगा कि प्रेम क्या है।

15. प्रेम की कोई भाषा नहीं होती, प्रेम का फूल मौन में खिलता हैं। प्रेम संगीत है, प्रेम अंतर्नाद है, प्रेम ही अनाहद नाद है।

यदि आपको प्रेम पर ओशो के विचार लेख पसंद आया तो आप इस लेख को अपने मित्रो को साझा कर सकते है।

Comments